नाराज़ थी मैं तुमसे मगर हर बार की तरह तुमने उस बार भी मना लिया था मुझे। मैं कितना भी नाराज़ हो लूँ मगर तुम, मना लेते थे मुझे। कैसे ? पता नहीं। सब कुछ ठीक-ठीक बीत रहा था हमारे बीच। कुल मिलकर बहुत खुश थी मैं तुम्हारे साथ। मेरी नाराज़गी, शिकायतें, गुस्सा, बेवकूफ़ियां सब झेल जाते थे तुम… बिना किसी सवाल-जवाब के… और खुशियाँ, वो तो होनी ही थीं हमारे बीच… बेहद प्यार जो करती थी मैं तुमसे…। तुम्हारी नींद से सोना फिर तुम्हारी ही नींद से जागना.. तुम कह दो हाँ तो हाँ और तुम जो कह दो ना तो ना..। इंतेहाँ तो यहाँ तक थी कि तुम्हारे सिवा किसी और से बात भी कर लूँ तो गुनाह लगता था। झूठ ना बोलना तुमसे प्रेम करके ही सीखा और सहनशील तो इस क़दर बना दिया तुम्हारे प्रेम ने कि अब दर्द कितना भी हो (शारीरिक या मानसिक), उफ़्फ़… तक नहीं करती मैं…….
“Ek ladki ki sachi kahani…” Sad bewafa hindi shayari for boyfriend